जीवन नदी जैसा हे

बुद्ध ने कहा हे-
जीवन नदी जैसा हे , यहां प्रतिपल सब बह रहा हे ।
ऐसा ही जीवन का प्रवाह हे
जो आये उसे अंगीकार करो
जो जाये उसे अलविदा करो
कुछ पकड़ के मत रखो
ऐसा आदमी कभी दुखी नहीं होता।

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